गिरने के बावजूद दुनिया की टॉप-5 उभरती करेंसी में शामिल हुआ भारतीय रुपया, जानिए कौन है नंबर-1

नए साल 2020 में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया (Indian Rupee) 0.37 फीसदी तक कमजोर हो गया है. लेकिन, भारतीय रुपया दुनिया के उभरती अर्थव्यवस्थाओं (Top Emerging Market Currency ) में सबसे बेहतर प्रदर्शन करने वाली करेंसी बन गई है. ब्लूमबर्ग की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, मैक्सिको की करेंसी पेसो टॉप पर बनी हुई है. यह इस साल 1.2 फीसदी मज़बूत हुई है. वहीं, दूसरे नंबर पर इंडोनेशिया की करेंसी रुपिया (Indonesian rupiah) है. दुनिया में सबसे कमजोर प्रदर्शन करने वाली करेंसी ब्राजीलियाई रियाल (Brazilian Real) है. साल 2020 में यह 8 फीसदी से अधिक कमजोर हो चुकी हैं.


रुपये के बेहतर प्रदर्शन से क्या होगा- एक्सपर्ट्स बताते हैं कि रुपये का बेहतर प्रदर्शन भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के लिए बढ़िया अवसर बन सकता है.क्योंकि रिजर्व बैंक इस दौरान अपने डॉलर के भंडार को बढ़ा सकता है. ऐसे में आगे चलकर महंगाई के बढ़ने की आशंका कम है.


दुनिया की टॉप-9 उभरती करेंसी में भारत का प्रदर्शन


(1) इस लिस्ट में मैक्सिको की करेंसी पेसो टॉप पर है. इस साल 1.21 फीसदी मज़बूत हुई.


(2) दूसरे नंबर पर इंडोनेशिया की करेंसी रुपिया है. इस साल ये 0.84 फीसदी मज़बूत हुई.


(3) तीसरे नंबर पर फिलीपींस की करेंसी पेसो है. ये 0.12 फीसदी मज़बूत हुई हैं. 


(4) लिस्ट में चौथा नंबर पर भारतीय रुपया है. हालांकि, इस साल रुपया 0.37 फीसदी कमजोर हुआ है.  


(5) पांचवें नंबर पर चीन की करेंसी युआन है. इस साल ये 0.87 फीसदी कमजोर हुई है.


(6) छठे नंबर पर मलेशिया की करेंसी रिंगित आती है. ये इस साल में 2.18 फीसदी लुढ़क गई है. 


(7)  सातवें नंबर पर दक्षिण कोरियाई करेंसी वॉन है. इस साल में ये 3.53 फीसदी कमजोर हुई है.


(8) आठवें नंबर पर थाइलैंड की करेंसी भाट है. इसमें अभी तक 4.67 फीसदी की गिरावट आ चुकी है. 


(9)  इस लिस्ट के नौवें पायदान पर ब्राजील की करेंसी ब्राजीलियाई रियाल (Brazilian Real) है आती है. साल 2020 में ये 8.16 फीसदी कमजोर हो चुकी है.


कैसे मजबूत और कमजोर होता है भारतीय रुपया-


रुपये की कीमत पूरी तरह डिमांड एवं सप्लाई पर निर्भर करती है. इस पर इंपोर्ट और एक्सपोर्ट का भी असर पड़ता है. हर देश के पास दूसरे देशों की मुद्रा का भंडार होता है, जिससे वे लेनदेन यानी सौदा (आयात-निर्यात) करते हैं. इसे विदेशी मुद्रा भंडार कहते हैं. समय-समय पर इसके आंकड़े रिजर्व बैंक की तरफ से जारी होते हैं.


(1) अगर आसान शब्दों में समझें तो मान लीजिए भारत अमेरिका से कुछ कारोबार कर रहा हैं. अमेरिका के पास 67,000 रुपए हैं और हमारे पास 1000 डॉलर. अगर आज डॉलर का भाव 67 रुपये है तो दोनों के पास फिलहाल बराबर रकम है. अब अगर हमें अमेरिका से भारत में कोई ऐसी चीज मंगानी है, जिसका भाव हमारी करेंसी के हिसाब से 6,700 रुपये है तो हमें इसके लिए 100 डॉलर चुकाने होंगे.


कैसे मजबूत और कमजोर होता है भारतीय रुपया-रुपये की कीमत पूरी तरह डिमांड एवं सप्लाई पर निर्भर करती है. इस पर इंपोर्ट और एक्सपोर्ट का भी असर पड़ता है. हर देश के पास दूसरे देशों की मुद्रा का भंडार होता है, जिससे वे लेनदेन यानी सौदा (आयात-निर्यात) करते हैं. इसे विदेशी मुद्रा भंडार कहते हैं. समय-समय पर इसके आंकड़े रिजर्व बैंक की तरफ से जारी होते हैं.


(1) अगर आसान शब्दों में समझें तो मान लीजिए, भारत अमेरिका से कुछ कारोबार कर रहा हैं. अमेरिका के पास 67,000 रुपए हैं और हमारे पास 1000 डॉलर. अगर आज डॉलर का भाव 67 रुपये है तो दोनों के पास फिलहाल बराबर रकम है. अब अगर हमें अमेरिका से भारत में कोई ऐसी चीज मंगानी है, जिसका भाव हमारी करेंसी के हिसाब से 6,700 रुपये है तो हमें इसके लिए 100 डॉलर चुकाने होंगे.


(2) अब हमारे विदेशी मुद्रा भंडार में सिर्फ 900 डॉलर बचे हैं. अमेरिका के पास 74,800 रुपये. इस हिसाब से अमेरिका के विदेशी मुद्रा भंडार में भारत के जो 67,000 रुपए थे, वो तो हैं ही, लेकिन भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में पड़े 100 डॉलर भी उसके पास पहुंच गए.


(3) अगर भारत इतनी ही इनकम यानी 100 डॉलर का सामान अमेरिका को दे देगा तो उसकी स्थिति ठीक हो जाएगी. यह स्थिति जब बड़े पैमाने पर होती है तो हमारे विदेशी मुद्रा भंडार में मौजूद करेंसी में कमजोरी आती है.


(4) इस समय अगर हम अंतर्राष्ट्रीय बाजार से डॉलर खरीदना चाहते हैं, तो हमें उसके लिए अधिक रुपये खर्च करने पड़ते हैं. इस तरह की स्थितियों में देश का केंद्रीय बैंक RBI अपने भंडार और विदेश से खरीदकर बाजार में डॉलर की आपूर्ति सुनिश्चित करता है.


indian rupees के लिए इमेज नतीजे